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लेखनी कहानी -11-Aug-2023

#काव्यमंचमेघदूत
#दिनांक:- 11/8/2023
#विषय:- पंक्ति ले
#शीर्षक:- किरदार

किरदारों का क्या !
हर पल-पल बदलते रहते हैं,
भले एक जैसा रहे जीवन,
पर जिन्दगी के पन्ने पलटते रहते हैं,
निखार तो उनमें भी रहा है, होगा भी,
जिन्हें वक्त पटकते रहते हैं,
इतिहास के पन्नों में,
सबको जगह नहीं मिलती,
पर 'गुम'नाम तो हमेशा,
नाम के आगे रहते हैं ।
बिखर कर भी खूबसूरती बिखेर गये होंगे,
जो बदनाम सरे आम बाजारों में रहे होंगे,
चोट खा-खाकर टूटने वाले,
परिवर्तन की धारा में निखर गये होंगे ।
सबकी एक दुनिया है अजूबी,
सपनो में शहंशाह कहलाते हैं,
यह जीवन है तारों-सा,
बुझता है ...चमकता है,
कौन कहता है वे खुबसूरत नहीं,
जो बिखर जाते हैं,
श्रृंगार हो या "प्रति" प्रेम,
*पावस* ऋतु में और निखर जाते हैं |

रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है|

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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3 Comments

KALPANA SINHA

12-Aug-2023 07:07 AM

Nice

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Punam verma

11-Aug-2023 03:43 PM

Very nice

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Milind salve

11-Aug-2023 03:28 PM

Nice one

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